बिन फेरे, हम तेरे....
बिन फेरे, हम तेरे....
पहली नज़र का प्यार हुआ था,
पहली पहली बार हुआ था,
किसी के मंडप से शुरू थी कहानी,
चढ़ती गयी थी सबकी जुबानी,
पार होती गई सारी सरहदें,
पूरी होती रही इश्क की हसरतें,
दोनों कसमें वादे निभाते चले,
साथ दोनों मुहब्बत की अग्नि जलते रहे,
कितने भी कांटे जमाने बिछाते रहे,
हँसते हँसते दोनों बस चलते रहे,
आखिर जीत हुई प्यार की,
हार गए जमाने के सितम ,
सोलह श्रृंगार और फूलों की डोली सजी,
चाँद सितारों के संग अरमाँ की बारात निकली,
विधि मंडप की विधि में
दुल्हे की धड़कन बंद हुई,
मानो सबकी धड़कन थम ही गई,
दुल्हन के मेहंदी वाले हाथ से,
वरमाला उसकी वर की देह पर चढ़ गया,
दुल्हन सह ना पाई,
खुदा की खुदाई समझ ना पाई,
रुखसत हो गई वो भी दुनिया से,
आवाज़ आई दोनों की अर्थी से,
बिन फेरे, हम तेरे......