STORYMIRROR

Laxmi Yadav

Romance Tragedy

4  

Laxmi Yadav

Romance Tragedy

मोहब्बत के रंग, पलाश के संग...

मोहब्बत के रंग, पलाश के संग...

1 min
14

वो बच्चा बड़ा शरारती था, 

पर वो बच्ची बड़ी मासूम थी, 


वो दोनों पलाश की गोद मे खेलते, 

कभी छुपते कभी निकलते, 


कभी वो लड़की फूलों से सजती, 

कभी वो लड़का सेहरा सजाता, 


समय यूँ पंख लगा कर उड़ता गया, 

मानों मुहब्बत की दस्तक देता गया, 


पलाश पर चढ़ी रतनार फूल की जवानी, 

उन दोनों की शुरू हुई यही से कहानी, 


दोनों को मुहब्बत का जुनून था, 

अब तो जाना चाँद के पार था, 


पलाश के संग उनके सपने सजते थे, 

उसी के संग उनके अरमाँ बिखरते थे, 


जाने नियति को क्या मंजूर था, 

दोनों के इश्क मे घुला शक का जहर था, 


बचपन की दोस्ती और जवानी का प्यार, 

कर दिया उसने खंजर सीने के आर पार, 


हाय देखो मौत भी शर्मिंदा हुई, 

 गोली उसको भी छलनी कर गयी, 


दुल्हन के डोली वाले फूल, 

अब उसके कफन पर सज रहे थे, 


सेहरा वाले फूल उसकी, 

कब्र पर मुरझा रहे थे, 


 मूक पलाश सिसक रहा था, 

अपनी छाँव मे दोनों के

सुलगते सपने देख रहा था... 


साहित्याला गुण द्या
लॉग इन

Similar hindi poem from Romance