सब कुछ झूठा!!
सब कुछ झूठा!!
तेरी मुहब्बत में सब कुछ झूठा,
वस्ल झूठा तो हिज्र भी झूठा,
हर तरफ फरेबी हैं तेरी यादें,
ख्वाब झूठा दर्द-ए-दिल झूठा !
कौन कहता है बस मिलन झूठा,
तेरे मिलने से हर ज़ख्म झूठा,
वो तेरा प्यार से फिकर करना,
अब तो जाना है हर सफर झूठा !
लोग मिलते हैं बिछड़ जाते हैं,
याद रहता है हमसफर झूठा,
थोड़े झगड़े या कड़वीं बातों से,
कहाँ बदले ये इश्क है झूठा !
रंग झूठे हैं चाँद है झूठा
क्या कहूँ आफ़ताब तक झूठा,
जब तेरा ज़िक्र निकल आता है,
आह झूंठी तो जाम तक झूठा !
अब तू भँवरा कहे या चोर कहे,
हमने लूटा जहाँ से बस झूठा !