फिर भी उसने !!
फिर भी उसने !!
यकीं था उसे, मैं उसका ही हूं,
फिर भी, उसने झिंझोड़ के देखा !!
जानती थी, गिर के टूट जाऊंगा,
फिर भी, उसने छोड़ के देखा !!
इल्म था उसे, मेरे दिल में है वो,
फिर भी, उसने तोड़ के देखा !!
मालूम था उसे, नस नस में है वो,
फिर भी, उसने निचोड़ के देखा !!
:- शिवांश पाराशर "राही"✍️