ये किसी और के हाथ लग सकता है ये किसी और के हाथ लग सकता है
जानती थी, गिर के टूट जाऊंगा, फिर भी, उसने छोड़ के देखा जानती थी, गिर के टूट जाऊंगा, फिर भी, उसने छोड़ के देखा
अंदर ही अंदर ग़म से निचोड़ रहा हो ऐसा भी हो सकता है अंदर ही अंदर ग़म से निचोड़ रहा हो ऐसा भी हो सकता है
मैं लज्जा की परतों में सिमटी नारी हूँ। मैं लज्जा की परतों में सिमटी नारी हूँ।
नारी अपने आँसुओं को केवल, अपने तकिये पर निचोड़ देती है। नारी अपने आँसुओं को केवल, अपने तकिये पर निचोड़ देती है।
हम भागे ढूंढने गुल्लक अपनी जिसमें जीवन का था निचोड़ हम भागे ढूंढने गुल्लक अपनी जिसमें जीवन का था निचोड़