Poet at Hindi community "अनेक समाचार पत्रों में कविताएं,ग़ज़लें तथा लेख प्रकाशित" इंस्टाग्राम:- @raahii
आज के समय में लोग शोहरत कमाने के लिए कुछ भी लिख कर छपा देते हैं। आज के समय में लोग शोहरत कमाने के लिए कुछ भी लिख कर छपा देते हैं।
गरीबी, ममता इन सब की परिभाषा मात्र सात वर्ष का शिव बखूबी समझ गया था। गरीबी, ममता इन सब की परिभाषा मात्र सात वर्ष का शिव बखूबी समझ गया था।
उन्हें जो खुशी मिलेगी उसका आप अनुमान नहीं लगा सकते l उन्हें जो खुशी मिलेगी उसका आप अनुमान नहीं लगा सकते l
चाहे कितना भी तड़पूं इक दीद वास्ते तू मत लौट के आना, मैं संभल जाऊंगा l चाहे कितना भी तड़पूं इक दीद वास्ते तू मत लौट के आना, मैं संभल जाऊंगा l
है तेरी रज़ा ही, जो हम ना मिले हैं। तो तेरी रज़ा को नमुकम्मल होने दूं कैसे ! है तेरी रज़ा ही, जो हम ना मिले हैं। तो तेरी रज़ा को नमुकम्मल होने दूं कैसे !