शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Classics Inspirational

4.5  

शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Classics Inspirational

पिता - पुत्र की कहानी

पिता - पुत्र की कहानी

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एक 35 साल का बेटा अपने बूढ़े पिता के साथ शाम को घूमने निकला l 

बेटे ने सोचा अब घर से बाहर आये ही है तो क्यों ना किसी अच्छे मॉल में जाकर पिता जी को कपड़े ही दिला दूं l

दोनों #पिता_पुत्र एक बड़े से अच्छे मॉल में जाते है l पिता जी इतने ज्यादा वृद्ध है कि बेटा उन्हे हांथ पकड़कर मॉल के अंदर ले जाता है l

 पिता यह देखकर बहुत खुश होता है कि बेटा उसे उसके पसंदीदा मॉल में लेकर आया है l

 किसी वक्त पिता जी इसी मॉल में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ खरीददारी करने आता था l पिता जी खुशी में अपने बेटे को बताते हैं कि यह वही मॉल है जहा मै तुम्हे और तुम्हारी मां को लेकर आता था l 

बेटा कहता है कि मुझे याद है पिता जी इसलिए मैंने सोचा कि आज इसी मॉल से खरीददारी की जाए l

बेटा अपने पिता की सबसे पसंदीदा ड्रेस यानि कि कमीज़ और पैंट दिखाने को कहता है l

दोनों पिता - पुत्र कपड़े देख रहे होते है उसी दौरान बेटा अपने पिता के लिए चाय - नाश्ता मांगता है , चूंकि पिता जी बहुत बूढ़े और कमजोर है इसलिए थोड़ी चाए उनकी पैंट पर गिर जाती है l

यह देख उस मॉल में खरीददारी कर रहे सभी लोग उस बूढ़े पिता को घूरने लग जाते है l

सभी सोचते है कि इसे नाश्ता करने का भी ढंग नहीं है l लेकिन उस बूढ़े बाप के बेटे को कोई फर्क नहीं पड़ता l

बेटा बड़े आराम से अपने पिता के लिए कपड़े पसंद करता है और पिता जी के नाश्ता खत्म होने का इंतज़ार करता है l 

जब पिता जी अपना नाश्ता खत्म करते है तो बेटा बड़े आराम से अपने पिता का हांथ पकड़कर उन्हे वाशरूम ले जाता है और कपड़ों पर लगे दाग साफ करता है l

दाग साफ करने के बाद बेटा अपने पिता के बालों पर कंघी फेरता है और उनकी आंखों पर उनके चश्में लगाता है l

जब दोनों वाशरूम से बाहर आते है तो मॉल में खरीददारी कर रहे सभी लोग उन्हें घूरते हैं कि कैसे उस लड़के के पिता ने अपने बेटे का मॉल में मजाक बना दिया l

बेटा बिना किसी की परवाह किए बिल देने जाता है l बिल देकर जब बे दोनों मॉल से बाहर जाने लगते है तो एक बूढ़ा व्यक्ति उस लड़के की पर हांथ रखता है और कहता है, सुनो.........

"तुम्हे नहीं लगता कि तुमने इस मॉल में कुछ छोड़ दिया"

बेटा इधर- उधर देखता है और कहता है "नहीं सर, मैंने कुछ नहीं छोड़ा" 

वो बूढ़ा इंसान फिर बोलता है "नहीं तुम इस मॉल में कुछ छोड़कर जा रहे हो और वो है इस मॉल में उपस्थित सभी लोगों के लिए एक सीख" 

"बेटा, तुम यहां उपस्थित सभी बेटों के लिए एक सीख छोड़कर जा रहे हो और हर एक पिता के लिए उम्मीद"

"मैंने आज तक एसा नहीं देखा कि कोई बेटा अपने पिता की इतने दिल से सेवा करता हो l 

अपने पिता की जैसे तुम सेवा कर रहे हो वो देखकर मेरी आंखें भी नम हो गयी और तुमने मेरे अंदर एक उम्मीद जगाई है कि शायद मेरा बेटा भी इसी तरह मेरी सेवा करे l 

धन्य है तुम्हारे मां - बाप जिन्होंने तुम्हे इतने अच्छे संस्कार दिए l

बेटा तुम जिंदगी में खूब तरक्की करो ओर हमेशा खुश रहो

उस बूढ़े आदमी ने उस बेटे को आशीर्वाद दिया और अपनी जगह पर बैठ गया l

यह सब देखकर उस बेटे के पिता का सीना गर्व से 5 इंच ओर चौड़ा हो गया l

दोस्तों इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनों के लिए वक्त ही नहीं निकाल पाते लेकिन इस कहानी का मूल उद्देश्य यही है कि कभी - कभी अपने मां - बाप और रिश्तेदारों के लिए टाइम जरुर निकले उनकी दुआएं आपको जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए जरूर मदद करेंगी और उन्हें जो खुशी मिलेगी उसका आप अनुमान नहीं लगा सकते l


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