"मां का पुराना रेडियो"
"मां का पुराना रेडियो"
कहते हैं कुछ चीजों से अलग ही लगाव होता है, शिव की माँ के साथ भी कुछ ऐसा ही था। #शिव, महज छः - सात साल का लड़का, जो कि पढ़ने भी जाया करता था l वह कक्षा चार में पड़ता था। शिव के घर में एक काफी पुराना रेडियो था शायद पुश्तैनी था, इतना पुराना कि कई बार उसका बटन, (आवाज को बढाने या कम करने वाला बटन) स्वत: गिरने भी लगता था। #शिव की मां उस रेडियो की मरम्मत करवाकर इस्तेमाल किया करती थी। खाना पकाने के बाद शिव की मां रेडियो में कुछ गीत सुनकर अपनी थकान दूर करती, लेकिन रेडियो रिटायर्ड नही हुआ। शिव हर रोज माँ को उस रेडियो से कुछ न कुछ सुनता देखता था, माँ कुछ देर गीत सुनकर रेडियो को बन्द कर अलमारी मै रख देती थी l
शिव पढ़ने में बहुत होशियार व् बहुत तेज था, मार्च का महीना था और शिव की परीक्षा शुरू हो चुकी थी, सभी विषय की परीक्षा देने के बाद अंत मे शिव की हिन्दी और कला की परीक्षा थी। शिव की मां ने उसकी पुरानी सफेद यूनिफॉर्म जिसे पहन कर इति परीक्षा देने जाती, उसी रेडियो वाली अलमारी में धोकर रख़ दी थी । हिन्दी की परीक्षा के बाद अब कला की परीक्षा का समय शुरू हो चुका था लेकिन शिव उदास था क्योंकि शिव के सभी सहपाठियों के पास मोम के रंग थे और शिव के पास रंग के नाम पर सिर्फ एक छोटी सी पेंसिल थी जिससे वह शेड का पहला प्रश्न हल कर चुकी था और आशा की किरणों से अपनी अध्यापक की ओर देख रहा था कि शायद अध्यापक उसकी ओर देखे और उसकी रंग भरने में सहायता कर सके। शिव बिल्कुल शांत मुद्रा में, कक्षा में चारों तरफ अन्य विद्यार्थियों को रंग करता देख रहा था कि इतने में अध्यापक की तेज आवाज आयी "जल्दी रंग भरो बच्चों, परीक्षा का समय खत्म होने में कुछ ही समय रह गया है "। शिव की आँखों में नमी और निराशा साफ झलकने लगी लेकिन वह संकोच के कारण कुछ नही बोल पा रहा था। तभी उसकी नजर कमरे के बाहर अपनी माँ को आती देख और वो अध्यापक को मोम के रंग दे कर शिव की तरफ इशारा करता देख रही थी। अध्यापक ने शिव की माँ से कहा "इसने तो कुछ भी सहायता नही मांगी मुझसे और वैसे भी सभी विद्यार्थी तो रंग भरकर ही दे पाते। "लाइये मैं शिव को यह रंग दे दूंगा "।
शिव रंग पा कर बहुत खुश था और उसने जल्दी से अपनी उत्तरपुस्तिका में रंग भरा।
बहुत ही खुश दिल से वह परीक्षा दे कर घर लौटा।
लेकिन उस दिन से उसको अपनी माँ का वो पुराना रेडियो नहीं दिखा क्योंकि शिव की माँ ने उस #पुराने_रेडियो_ को बेचकर शिव की कला की परीक्षा के लिए रंगीन मोम खरीद कर उसके विद्यालय में पहुँचाई ताकि शिव #शिक्षा के क्षेत्र में बेरंग न रह जाये।
शिव के मन पर इस वाक्ये का गहरा असर हुआ। गरीबी, ममता इन सब की परिभाषा मात्र सात वर्ष का शिव बखूबी समझ गया था।