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शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Drama Romance

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शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Drama Romance

इजहारे इश्क

इजहारे इश्क

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तेरा इश्क दिल में, बताऊं मैं कैसे !

इजहारे- ए- इश्क, करूं मैं कैसे ?


आंखों मैं बसकर भी अदृश्य रहे हो !

सुकून - ए - कल्ब हो तुम! तुम्हे देखूं मैं कैसे।


न मेरे महबूब, कभी तुमको लिखा !

जो लफ्ज़ ही नहीं है, सुनाऊं मैं कैसे ?


कभी तुझसे दूर मैं, कभी मुझसे दूर तू

अपने बीच ये दूरियां, मिटाऊं मैं कैसे ?

                       - -तेरा इश्क दिल मैं


तु मुझे बस अपना, रहनुमा मानती है।

किन्तु तूं है मेरी राधा, बताऊँ मैं कैसे !

     

तेरी सारी मजबूरियां, भी मै देखता हूं।

पर अपने आपको, समझाऊं मैं कैसे !

                        - - तेरा इश्क दिल में,


है तेरी रज़ा ही, जो हम ना मिले हैं। 

तो तेरी रज़ा को नमुकम्मल होने दूं कैसे ! 


मेरी तो रूह मै है, तेरा रूप राधा !

इसे छोड़ कर पास, आऊँ मैं कैसे ? 

                        - - तेरा इश्क दिल में है,


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