शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Drama Romance

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शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Drama Romance

गजल

गजल

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तेरी इस जीस्त से निकल जाऊंगा,

किसी उदास साम में ढल जाऊंगा l


तू जो मुकर गया है हर वादे से अपने,

देखना एक दिन मैं भी बदल जाऊंगा l


तू मत बता मुझे अपनी मजबूरियां,

तुझे इल्म है कि मैं पिघल जाऊंगा l


चाहे कितना भी तड़पूं इक दीद वास्ते 

तू मत लौट के आना, मैं संभल जाऊंगा ll 

:- शिवांश पाराशर "राही"✍️





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