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शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Inspirational Others

4.5  

शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Inspirational Others

मर्यादा में राम तुम्हे मिल जाएंगे!!

मर्यादा में राम तुम्हे मिल जाएंगे!!

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सुकृत कर्म के दाम तुम्हें मिल जाएंगे,

वो करुणा के धाम तुम्हें मिल जाएंगे,

लालित, ललित, ललाम तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


भारत की भू रज में राम समाए हैं,

धर्म, कर्म में यज में राम समाए हैं,

राम मिलेंगे हर मुस्काती कलियों में,

राम मिलेंगे जनकपुरी की गलियों में,

राम मिलेंगे नगर, गली व बस्ती में,

राम मिलेंगे हर केवट की कश्ती में,

श्रमिक, भ्रमित विश्राम तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


राम मिलेंगे गीध राज की टेरों में,

भाव-भरे माता शबरी के बेरों में,

राम मिलेंगे सदा सिया के शीलों में,

कोल भिल्ल वानर बनवासी भीलों में,

राम मिलेंगे अधरों के स्पंदन में,

चित्रकूट तुलसी के घिसते चंदन में,

सिया विराजे बाम तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


राम मिलेंगे हर मर्यादित भाषा में,

पूज्य प्रमाणित पौराणिक परिभाषा में,

राम मिलेंगे आती जाती स्वांसों में,

राम मिलेंगे श्रद्धा में विश्वासो में,

राम मिलेंगे भरत सरीखा जीने में,

राम मिलेंगे सदा हनुमान के सीने में,

पथ पर सुंदर ठाम तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


राम मिलेंगे हर उत्तम उत्कृष्ठों में,

राम

चरित मानस के हर एक पृष्ठों में,

राम मिलेंगे हर कण हर सृष्टि में,

राम मिलेंगे समता में समदृष्टि में,

राम मिलेंगे तम को हरती रविता में,

सुंदर सहज सुशील काव्य में कविता में,

अंतरहित अभिराम तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


ना मंदिर में, ना घर बैठे, ना प्रवास में...

राम मिलेंगे दीन जनों की भूख प्यास में,

ना तो शहर में और ना गांव में,

राम मिलेंगे पंचवटी की छांव में,

राम मिलेंगे कौशल्या की ममता में,

राम मिलेंगे सीता की गरिमता में,

मनुज धर्म के आधार तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


ना सूरज, ना चंदा, ना तारों में....

राम मिलेंगे वानर सेना के नारों में,

ना तो गौरव ना ही प्रतिमानों में,

राम मिलेंगे भारत की पहचानो में,

राम मिलेंगे कूचे कूचे टंगे झंडों में,

राम मिलेंगे पवित्र चिता के कंडों में,

हर घड़ी नवीन स्वभाव तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!


सुकृत कर्म के दाम तुम्हें मिल जाएंगे,

वो करुणा के धाम तुम्हें मिल जाएंगे,

लालित ,ललित, ललाम तुम्हें मिल जाएंगे,

मर्यादा में राम तुम्हें मिल जाएंगे !!

:- शिवांश पाराशर "राही"✍️



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