गजल:- जाने का नहीं!!
गजल:- जाने का नहीं!!
मौज-ओ-तलात़ुम से डर जाने का नहीं,
भंवर में कश्ती, छोड़कर जाने का नहीं !!
निकला हैं जब कुछ कर गुजरने की चाह में,
तूफान से घबराने का, उखड़ जाने का नहीं !!
दो बच्चे है मेरे काम की तलाश में निकला हूं,
मर जाने का पर, खाली हाथ घर जाने का नहीं !!
रुपया ही बहुत है, दीनार-व-दिरहम के लिए,
अपने वतन को छोड़कर, कतर जाने का नहीं !!
अज़ीज़-मन मुहब्बत कर दिल लगा वफा कर,
लेकिन बर्बाद हो जाने का उजड़ जाने का नहीं !!
जज़्बात पे अपने क़ाबू रख "शिवांश" सुना नहीं,
'राहत' साहब कहते बुलाती हैं मगर जाने का नहीं !!
:- शिवांश पाराशर "राही"✍️
मौज-ओ-तलातुम -- नदी में बड़ा सा तूफान
दीनार-व-दिरहम --सोने चांदी के सिक्के