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शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Inspirational

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शिवांश पाराशर "राही"

Abstract Inspirational

पता नहीं मुझमें पत्तियां आएंगी या नहीं

पता नहीं मुझमें पत्तियां आएंगी या नहीं

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किस रंग का हूं,

किस छाल,

किन शाखाओं का,

पता नहीं,


मुझमें 

पत्तियां आएंगी या नहीं,

फूल छपेंगे क्या ?

पता नहीं ?

सूखा रह लूंगा

हमेशा की तरह,


पानी तुम्हारी

नशों में दौड़ता है,

सूखे में

तुम हलक में आना,

गीले जहर की तरह !


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