छतों पर बिताई जो#रातें याद
छतों पर बिताई जो#रातें याद
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छतों पर बिताई जो रातें याद
तो होंगी
वो मीठी-मीठी बातें
चांद तारे भी साक्षी थे हम दोनों
के प्यार के!
चांदनी भी आती थी हौले से
हमदोनों के कानों में कुछ कह जाती
थी!
ठंडी-ठंडी हवाएं अपना मधुर संगीत
सुना जाती थी!
चांद जब मुस्कुराता था और
तारे टिमटिमाते थे
हमारी नजरें उन पर
चली जाती थी!
और हम फिर बातें करनें लग जाते थे!