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Vishakha Gavhande

Others

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Vishakha Gavhande

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अब तुम लौट के कभी न आना

अब तुम लौट के कभी न आना

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बड़ी उलझनों के बाद सुलझी है अब जाके “रातें“ मेरी 

फिर से उन्हें उलझाने तुम कभी न आना

 

अधूरे से थे कुछ “सवाल“ मेरे जो अब जाके सुलझ से गए हैं

उनके जवाब देने तुम कभी न आना


काफी फासला बन गया दूरी का हमारे बीच

आगे चल के उन्हें मिटाने की कोशिश न करना 

 

काफी शिद्दत के बाद ये दिल अभी संभल सा गया है

फिर से इस दिल को धड़काने कभी न आना


गये जो हो एक बार प्रेम गली छोड़ के मेरी

अभी फिर से उस गली लौट के लौट के कभी न आना न आना



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