अब तुम लौट के कभी न आना
अब तुम लौट के कभी न आना
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बड़ी उलझनों के बाद सुलझी है अब जाके “रातें“ मेरी
फिर से उन्हें उलझाने तुम कभी न आना
अधूरे से थे कुछ “सवाल“ मेरे जो अब जाके सुलझ से गए हैं
उनके जवाब देने तुम कभी न आना
काफी फासला बन गया दूरी का हमारे बीच
आगे चल के उन्हें मिटाने की कोशिश न करना
काफी शिद्दत के बाद ये दिल अभी संभल सा गया है
फिर से इस दिल को धड़काने कभी न आना
गये जो हो एक बार प्रेम गली छोड़ के मेरी
अभी फिर से उस गली लौट के लौट के कभी न आना न आना।
