राखी बंधन
राखी बंधन
मुझ पर ये राखी का प्यार
यूं ही उधार रहने दो ।
बड़ी हसीन है, ए कर्ज
मुझे कर्जदार रहने दो ।।
वो आंखें जो छलकती हैं बहन की
गम में, खुशी में मेरे लिए
उसके लिए मेरे घर के और दिल के दार सदा
खुले रहने दो
मौसम लाख बदलते रहे
आए भले बसंत, पतझड़
यूं ही मुझे अपने राखी के बंधन में रहने दो
महज एक धागा नहीं है ये
बगिया है विश्वास की
इसे गुलजार रहने दो
भाई बहन के इस त्योहार को
यूं ही सालो साल बरकरार
रहने दो।
