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Vishakha Gavhande

Romance Tragedy

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Vishakha Gavhande

Romance Tragedy

औकात भूल बैठे

औकात भूल बैठे

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आज मेरी गरीबी मुझे खटक गई

बरसों से जिससे प्रेम था

आज वो छोड़ कर चली गई

वक्त के साथ वो भी बदल गई

ख्वाब था जिसे मुझे पाने का 

वह आज नजरें दिखा गई

मोहब्बत की राहों में हम 

राहे भूल बैठे थे ।

अच्छा हुआ जो मोहब्बत 

में धोखा मिला

मोहब्बत करते करते हम 

अपनी औकात भूल बैठे थे।


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