STORYMIRROR

Dr.Pratik Prabhakar

Romance

4  

Dr.Pratik Prabhakar

Romance

शुभ रात्रि

शुभ रात्रि

1 min
510

रात होने को है

घनी

मैं कहता हूँ

शुभ रात्रि ,

जबाब दो न

कहाँ गए

मेरे अधूरे ख़्वाब,

मेरे जज्बात

मरना नहीं ,

जिन्दा रहो

मेरे सीने में दफ़न

कल फिर कौन

साथ होगा तन्हाइयों में

मेरे लिबास से लिपटा

मैं ढूंढूंगा तुम्हें

तरके कल

ओढ़ लूंगा फिर से

बन के निकलूंगा कल

मैं सूरज की रोशनी में

डर तो होगा नहीं तब

घुप्प अँधेरा का......



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance