बारिश और लॉकडाउन
बारिश और लॉकडाउन
आज तो छमाछम बारिश ने समां बांध दिया
लॉकडाउन ने इस आनंद को दुगना बढ़ा दिया
उनको बांहों में भरकर भीगते रहे बरसात में
आंखों से छलकते प्यार ने जन्नत पहुंचा दिया
ऊपर से रिमझिम गिरने लगी शराब की बूंदें
इस नशे ने हमें इस कदर मतवाला बना दिया
और जब छलकने लगे उनके अधरों के जाम
ऐसा लगा कि जैसे किसी ने अमृत पिला दिया
लॉकडाउन गर नहीं होता तो घर में कैसे रहते
ना उनकी जुल्फों में बंधते ना आंखों में उतरते
बारिश में संग भीगने का मजा ही कुछ और है
इस जन्नत में डूबने के आनंद फिर कैसे मिलते।