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कवि हरि शंकर गोयल

Romance

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कवि हरि शंकर गोयल

Romance

बारिश और लॉकडाउन

बारिश और लॉकडाउन

1 min
180


आज तो छमाछम बारिश ने समां बांध दिया 

लॉकडाउन ने इस आनंद को दुगना बढ़ा दिया

उनको बांहों में भरकर भीगते रहे बरसात में 

आंखों से छलकते प्यार ने जन्नत पहुंचा दिया 


ऊपर से रिमझिम गिरने लगी शराब की बूंदें 

इस नशे ने हमें इस कदर मतवाला बना दिया 

और जब छलकने लगे उनके अधरों के जाम 

ऐसा लगा कि जैसे किसी ने अमृत पिला दिया 


लॉकडाउन गर नहीं होता तो घर में कैसे रहते 

ना उनकी जुल्फों में बंधते ना आंखों में उतरते 

बारिश में संग भीगने का मजा ही कुछ और है 

इस जन्नत में डूबने के आनंद फिर कैसे मिलते।  




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