बिखरा हुआ प्रेम
बिखरा हुआ प्रेम
सुनो दिकु...
तुम्हारे लौट आने की राह में टूट गया हुआ तारा हूँ मैं
लोग फिर भी समझ रहे है कि आवारा हूँ मैं
बिन मौसम हो गई है बरसात मुझ पर जुदाई की
भीगी पलके बेशुमार, मुहब्बत का मारा हूँ मैं
कोइ दवा या कोई दुआ काम नहीं करती अब
रफ्ता रफ्ता अब खुद की जिंदगी से हारा हूँ मैं
साथी बनने को लोग तैयार है कईं
परंतु हृदय में तुम हो और तुम ही रहोगी
प्रेम को कुछ नहीं चाहिए तुम्हारे सिवा
तुम्हारे लौट आने की आस में बेसहारा हूँ में
किसी दिन धनवान था तुम्हारा साथ पाकर
आज तुम्हारे इंतज़ार में ठिठुरता हुआ गरीब बेचारा हूँ में।