नहीं कोई दूजा है जग में, जैसी अपनी माता है। नहीं कोई दूजा है जग में, जैसी अपनी माता है।
सत्ता के नशे में डूबे हुए नशा ही नशा है चारों ओर। सत्ता के नशे में डूबे हुए नशा ही नशा है चारों ओर।
ईश्वर भी असमंजस में हैं, किसका मंदिर, किसका चंदन ? सबको अपनी पड़ी यहाँ, करूणा के घट सब रीते... ईश्वर भी असमंजस में हैं, किसका मंदिर, किसका चंदन ? सबको अपनी पड़ी यहाँ, ...
जब वो खुले हो बंद होने पर दोनों लगते हैं। जब वो खुले हो बंद होने पर दोनों लगते हैं।
इस की हर किसी से उम्मीद ना रखें, क्योंकि बहुत ही कम लोग दिल के धनवान होते हैं । इस की हर किसी से उम्मीद ना रखें, क्योंकि बहुत ही कम लोग दिल के धनवान होते हैं...
रोटी चुरा कर, चोर हो गया गरीब, लेकिन लोग की माल , चुराकर महेंद्र हो गया धनवान ! रोटी चुरा कर, चोर हो गया गरीब, लेकिन लोग की माल , चुराकर महेंद्र हो ...