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Akhtar Ali Shah

Abstract

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Akhtar Ali Shah

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ऐ मां तुझे सलाम

ऐ मां तुझे सलाम

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ममता की मूरत माता है

खुद रब की सूरत माता है

जन्म दिया है जिसने हमको

अपनी भाग्य विधाता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसी अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम ...


दूध पिलाया उसने अपना,

खूब बने बलशाली हम।

खुद रक्षक बन जाएं अपने,

और करें रखवाली हम।

रखा गर्म में जिसने जिन्दा,

खून से जिसका नाता है।

नहीं कोई दूजा है जग मैं,

जैसी अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम....


जो खुद गीले में सोई है,

हमें सुलाया सूखा कर।

कभी नहीं नाराज हुई,

बदले हों भले कई बिस्तर।

जिसके आगे सब्र स्वयं,

पानी पानी हो जाता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसी अपनी माता है।

ऐ माँ तुझे सलाम ....


हाथ पकड़कर चलना जिसने,

हमको यहाँ सिखाया है।

चाब चाबकर खाना जिसने,

हम को खूब खिलाया है।

रात रात भर नींद बेचकर,

कौन हमें थपकाता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसे अपनी माता है।

ऐ माँ तुझे सलाम .....


उत्सुकतावश जब जब हमने,

किए निरर्थक प्रश्न हजार।

बिना हुए नाराज दिया ,

माँ ने भी उत्तर सौ सौ बार।

धैर्य है जिसके पास कौन,

यूं बारबार समझाता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसी अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम.....


नए वसन पहने बच्चे यूं,

इच्छाएं मारी हर बार,

पैबन्दों वाली साड़ी में,

रही मनाती वो त्यौहार।

बच्चों को हँसता देखें बस,

जिसको यही सुहाता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसी अपनी माता है।

ऐ माँ तुझे सलाम......


जहां चार बच्चों का घर हो,

रोटी की हो कमी कहीं।

वहाँ सिर्फ मां ही कहती हैं,

बच्चों मुझको भूख नहीं।

बच्चों के भर जाएं पेट तो,

मन जिसका भर जाता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसे अपनी माता है।

ऐ माँ तुझे सलाम .....


पाल पोस कर बड़ा किया,

जिसने दी हरदम कुर्बानी।

अपनी संचित दौलत वारी,

समझ लिया केवल पानी।

हों बच्चे खुशहाल सदा,

मन जिसका यह दोहराता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसे अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम .....


खुद बिककर भी बच्चों का,

जो जीवन सदा बचाती है।

अपना सब कुछ लुट जाए तो,

तनिक नहीं घबराती है।

खुद मिटकर बच्चों में जीवन,

जिसे डालना आता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसे अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम ....


अगर बुढ़ापे का संबल,

बनने से कोई कतराये।

अगर मुंह को फेर ले कोई,

माँ से दूर चला जाए।

फिर भी दुआ लबों पे हरदम,

तन चाहे थर्राता है।

नही कोई है दूजा जग में,

जैसी अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम ....


"नंत"पनी माता की,

सेवा करलें धनवान बनें।

किस्मत वाले बनें जहाँ में,

और सुखों की खान बनें।

माँ की सेवा सेवा रब की,

खुद रब यही बताता है।

नहीं कोई दूजा है जग में,

जैसी अपनी माता है।

ऐ मां तुझे सलाम....,


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