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दिनेश कुमार कीर

Romance

4  

दिनेश कुमार कीर

Romance

एक लड़की अनजानी सी

एक लड़की अनजानी सी

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4

एक लड़की मेरे इतने करीब आकर चली गयी, 

जैसे कि मुझको मुझसे ही चुराकर चली गयी, 

उसके बिना मैं खुद को अधूरा - सा समझता हूं, 

पतंग संग डोरी का रिश्ता निभाकर चली गयी, 

कुछ अपने थे खिलाफ तब भी उसने कहा यही, 

जैसी भी है मेरी है लोगों को बातें बताकर चली गयी, 

गनीमत इतनी ही रही कि बिखरने दिया नहीं मुझे, 

जख्मों पर मुस्कुराहट के पैबंद लगाकर चली गयी, 

अंधेरों में रहकर खामोशियां मुझे रास आने लगी, 

अरसे बाद अपनेपन की चादर उढाकर चली गयी, 



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