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swadha shree

Abstract Romance

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swadha shree

Abstract Romance

हो के नहीं

हो के नहीं

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तुम हो भी, नहीं भी।

खयालों मे हो, ख्वाबों में हो,

जिन्दगी में नहींं।

कहो तुम हो के नहींं।


तुम पास भी नहीं हो, और दूर भी नहीं।

तुम साथ हर कदम हो, पर साथ मे नहीं।

कहो तुम हो के नहींं।


आते हो, जाते हो, रेह्ते नहीं,

सब सुन्ते हो, समझते हो, कुछ कहते नहीं।

क्यूँ हो, और क्यूँ नहींं, सवाल है कई।

कहो तुम हो के नहीं।


न पास आते हो, न दूर जाते हो

नजर नहीं जब आते, मन मे क्यूँ तुम बेस हो,

हर वक़्त साथ मे हो, पर साथ मे नहीं।

कहो तुम हो भी क नहीं।


तुम्हे जानती नहीं मैं, और अंजान भी नहींं,

एक एहसास हो, बहुत खास हो,

अधूरी आस हो, या विश्वास हो,

अब तुम हो के नहीं हो, क्या फर्क पड़ रहा है

अंजान एक साया मेरे साथ चल रहा है।


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