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Sarita Kumar

Romance

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Sarita Kumar

Romance

फर्क

फर्क

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फर्क नहीं है कल और आज में 

कल आप नायाब लगते थे

और आज लाजवाब हैं 

कल था आपको मुझसे प्यार

आज करती हूं आप पर जान निसार

बीतें दिनों की यादें तमाम 

हैं हमारी कीमती सौगात  

आपका मुझे "आप" कहना भाता था पहले 

अब "तुम" कहना मेरा गुदगुदाता है आपको 

बस फर्क अब इतना है 

कि मेरे बालों में सफेदी छा गई है 

और आपके मुखड़े पर झुर्रियां आ गई हैं 

आशिकी कुछ बढ़ गई है 

हया थोड़ी कम हो गई है 

ढाई दशक बाद किया था इज़हार 

हाले दिल अपना ....

अब हर दिन वो बात दोहराते हैं 

बस यही फर्क अब आया है 

हर पल खुमार छाया है 

बीत गए हैं दिन आशिक़ी के 

फिर भी दिल बेकाबू हुए जाता है ।


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