दिल का हाल
दिल का हाल
दिल की है जो चाहत पर होना नहीं है आज
तुझमें गुम हो जायें पर खोना नहीं है आज।
उसकी परेशानियों से मन हुआ बहुत उदास
सोचा तो ये था कि रोना नहीं है आज।
रात भर जाग कर हम उसको सुनते रहे
तय यही था जानम कि सोना नहीं है आज।
तडप कर हिज़ में कुछ इस कदर बिखरे हम
ज़िद्द ये थी हमारी कि खुद को पिरोना नहीं है आज।
तू अपने गम में शामिल करो मुझे इक हक से
मुझे भी फूलों का दामन संजोना नहीं है आज।
दे इक इजाजत हम को सीने से लिपट जाने की
वादा है ये कि तेरे कांधे को भिगोना नहीं है आज।