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S N Sharma

Abstract Romance

4  

S N Sharma

Abstract Romance

साथ तुम्हारा।

साथ तुम्हारा।

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साथ तुम्हारा ऐसा, जैसे चमन महकता हो

जैसे काली रातों में ,दुबला चांद चमकता हो।

यादें जैसे जीवन की, फिल्म चले हो पर्दे पर।

रूप तुम्हारा मादक जैसे सपना दिखता हो।

युग बीते पर लगता है जैसे बात अभी की हो

मन मंदिर के चित्रों में रूप एक ही बसता हो

माना समय नहीं रुकता उम्र गुजरती जाती है।

चंद पलों को कैद दिल भी तो करके रखता हो।

इन राहों पर कोई आगे निकले तो क्या गम है।

जुदा मंजिलें हैं सबकी मिले जिसे जो मिलता हो।



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