महोब्बत की ह़की़क़त
महोब्बत की ह़की़क़त


मोहब्बत की ह़की़क़त से ये दुनिया भी
इस मोहब्बत के तल बगार हैं
सभी पर धोखे खा खा के
किसी को किसी पर यूं एतबार नहीं होता
रिश्तों के बाजार में वफादार खोजते हैं
सभी पर कोई खुद वफादार नहीं होता
बनते हैं खुद को ज्ञानी और समझदार पर
असल जिंदगी में कोई समझदार नहीं है
हक़ीक़त कहो तो
यक़ीन कोई नहीं करता
सच रख दो सामने तो भी
कोई दीदार नहीं करता
पर हर झूठ पे मरने को यहाँ मिलते लाखों हैं
यार पर सच सुन के भी कोई जाँ निसार नहीं मिलता