STORYMIRROR

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

4  

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

तुम संग प्रीत

तुम संग प्रीत

1 min
287

मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है 

सांवरे तू थाम ले मेरा हाथ को

मुझे न चिंता किसी की अब है

बस चाहिये बस तेरा साथ,


न मैं मीरा न मैं राधा

फिर भी तुझ बिन जीवन है आधा,

बिन तेरे तो मैं ऐसे हूँ

जैसे कोई अनाथ सा


नहीं है कोई लोभ मुझे न दुनिया की परवाह

तू मेरा हो जाये बस मुझे इसी की चाह,

धन्य हो जाये जीवन मेरा

इतना सा मेरा स्वार्थ


न इतने पुण्य मेरे कर्मों में

कि स्थान मिले तेरे चरणों में,

तू तो है प्रकाश सांवरे

मैं हूँ अंधियारी रात सा


तेरा हुआ ये तन-मन अब तो तेरे हुए हैं प्राण

बिन तेरे जीना अब तो रहा न है आसान,

जल्दी आओ प्यारे मोहन

हम जोह रहे तेरी बाट का



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract