तुम संग प्रीत
तुम संग प्रीत
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है
सांवरे तू थाम ले मेरा हाथ को
मुझे न चिंता किसी की अब है
बस चाहिये बस तेरा साथ,
न मैं मीरा न मैं राधा
फिर भी तुझ बिन जीवन है आधा,
बिन तेरे तो मैं ऐसे हूँ
जैसे कोई अनाथ सा
नहीं है कोई लोभ मुझे न दुनिया की परवाह
तू मेरा हो जाये बस मुझे इसी की चाह,
धन्य हो जाये जीवन मेरा
इतना सा मेरा स्वार्थ
न इतने पुण्य मेरे कर्मों में
कि स्थान मिले तेरे चरणों में,
तू तो है प्रकाश सांवरे
मैं हूँ अंधियारी रात सा
तेरा हुआ ये तन-मन अब तो तेरे हुए हैं प्राण
बिन तेरे जीना अब तो रहा न है आसान,
जल्दी आओ प्यारे मोहन
हम जोह रहे तेरी बाट का
