STORYMIRROR

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Romance Inspirational

4  

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Romance Inspirational

मेरे अल्फाज़

मेरे अल्फाज़

1 min
224


रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 

कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।


जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 

मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।


सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम 

उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।


सोच कर तुम्हें ही अपने साथ में हम भी मुस्कुराते हैं..

पर क्या करें अभी इस चेहरे से यूं नाराज हो तुम ।।🪷👀



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract