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Mansi Singh

Others

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Mansi Singh

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आधी रात

आधी रात

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आधी रात के बाद सन्नाटे में पसरी सड़कें

जैसे कोई भूली बिसरी कहानी याद दिलाती हैं

चांदनी रात में जब तन्हा होकर बैठती हूं

छतपर गुजरे वक्त की कई बातें याद आती हैं

कितनी दूर निकल आए जिंदगी जीते जीते न जाने कितनी शामें पीछे छूट जाती हैं 

आज तन्हाई में बैठकर खुद से यूं बातें करना 

अनकही कितनी दास्तानें कह जाती हैं। 

खामोशी में भी गजब का शोर छुपा है 

ये बात भी निरा तन्हा होकर समझ आती है

यूं तो कहने को है बहुत कुछ मगर 

ये चुप्पी सब सह जाती है जैसे .......

कोई भूली बिसरी कहानी याद दिलाती है।



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