आधी रात
आधी रात
1 min
338
आधी रात के बाद सन्नाटे में पसरी सड़कें
जैसे कोई भूली बिसरी कहानी याद दिलाती हैं
चांदनी रात में जब तन्हा होकर बैठती हूं
छतपर गुजरे वक्त की कई बातें याद आती हैं
कितनी दूर निकल आए जिंदगी जीते जीते न जाने कितनी शामें पीछे छूट जाती हैं
आज तन्हाई में बैठकर खुद से यूं बातें करना
अनकही कितनी दास्तानें कह जाती हैं।
खामोशी में भी गजब का शोर छुपा है
ये बात भी निरा तन्हा होकर समझ आती है
यूं तो कहने को है बहुत कुछ मगर
ये चुप्पी सब सह जाती है जैसे .......
कोई भूली बिसरी कहानी याद दिलाती है।