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Manisha Wandhare

Abstract Romance

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Manisha Wandhare

Abstract Romance

आ भी जाओ सजना...

आ भी जाओ सजना...

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यूँ बरसो बीत गये है ,

इंतजार आपका करने में ,

अब तो रहम खाओ ,

सजना ,

आभी जाओ बाहो में ...

तरसना क्युँ लिखा हैं ,

सिर्फ मेरे ही मुकद्दर में ,

क्या तुम भी तरसते हों ,

सावन कीं उस रिमझिम में ...

ठिठूर जाती हैं करवटें ,

दिल की ऐसी उदासी में ,

तुम हो तैनात वहाँ जहाँ ,

गरमी भरती रगरग में ...

सौतन नही माँ है वो ,

प्यार मुझसे ज्यादा है तुम में ,

पर भुल नहीं पाती मैं भी ,

साँसे वारी है ,

दिल घुल गया हैं तुम में ...



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