आ भी जाओ सजना...
आ भी जाओ सजना...


यूँ बरसो बीत गये है ,
इंतजार आपका करने में ,
अब तो रहम खाओ ,
सजना ,
आभी जाओ बाहो में ...
तरसना क्युँ लिखा हैं ,
सिर्फ मेरे ही मुकद्दर में ,
क्या तुम भी तरसते हों ,
सावन कीं उस रिमझिम में ...
ठिठूर जाती हैं करवटें ,
दिल की ऐसी उदासी में ,
तुम हो तैनात वहाँ जहाँ ,
गरमी भरती रगरग में ...
सौतन नही माँ है वो ,
प्यार मुझसे ज्यादा है तुम में ,
पर भुल नहीं पाती मैं भी ,
साँसे वारी है ,
दिल घुल गया हैं तुम में ...