कोई अपने जैसा
कोई अपने जैसा


पता नहीं अच्छी हूँ या बुरी हूँ मैं
पर कोई अपने जैसा खोजती हूँ मैं
जाने कहाँ खो गयी इंसानियत
आज परायों में अपनापन खोजती हूँ मैं
अभी तो होश सम्भाला हैं मैंने
और अभी से हर ओर निराशा देखती हूँ मैं
कोई तो मिल जाए अपना सा
इतनी सी दिल में आशा रखती हूँ मैं
मेरा गाँव आज भी कल जैसा हैं
फिर भी न जाने कैसी कमी महसूस करती हूँ मैं
बहुत चल दिया रास्तों पे तन्हा
अब एक साथी खोजती हूँ मैं
जो हर वक्त मेरे दिल के करीब हो
ऐसा हमसफर खोजती हूँ मैं