गज़ल
गज़ल


नए दोराहे पर आकर खड़ी हैं प्यार की राहें।
हमे तुम से जुदा कर के चली है प्यार की राहें।
बहुत हसीन थे वह पल गुजारे साथ जो हमने।
रिहा जुल्फों से तेरी कर चली है प्यार की राहें।
यहां हर समंदर ने अपनी हद खुद ही तय कर ली
मगर हर हद से आगे जा निकलती प्यार की राहें।
जमीन ने जब से नीला गगन ओढ़ा चुनरिया सा।
सितारों चांद से सजने लगे लगी है प्यार की राहें।
बहारों का है यह मौसम में सजे जंगल है फूलों से।
व्यथित बिरहन को कैसे कर रही है प्यार की राहें।
यह माना दूर है मंजिल बड़ा मुश्किल सफर अपना।
अकेले हैं तो भी सफर में ले चली है प्यार की राहें।