STORYMIRROR

Manisha Wandhare

Abstract Romance

4  

Manisha Wandhare

Abstract Romance

एक ख्वाँब बार बार...

एक ख्वाँब बार बार...

1 min
358

एक ख्वाब बार बार दस्तक दे रहा है ,

बोल दे तू भी तुझे प्यार हो रहा है ,

पलकों पर साये है उनके ,

हम पलकें उठाये या नहीं इस उलझन मैं ,

ओ वो हमसे ही मनमानीयां कर रहा है ...

कहाँ सुन रहा है वो पागल ,

बेखौफ कहाँ जा रहा है ,

डर ना उसे दुनिया का कभी ,

और कसूरवार हमें ठहराया जा रहा है...

रुक जा बढ़ते कदम तू ना बढ़ ,

ये रास्ते नहीं आसान दुःख दिये जा रहे है,

गुलाबी सी दिखने वाली राह भी,

कंकळ काँटो सें भरे जा रहे है ...

कह भी दे तो भी शांत नही होंगे ,

सागर में दिल भिगोये जा रहे है ,

टकराकर फिर सें किनारों पर ,

वही राग दिलो का गाये जा रहे है...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract