एक ख्वाँब बार बार...
एक ख्वाँब बार बार...
एक ख्वाब बार बार दस्तक दे रहा है ,
बोल दे तू भी तुझे प्यार हो रहा है ,
पलकों पर साये है उनके ,
हम पलकें उठाये या नहीं इस उलझन मैं ,
ओ वो हमसे ही मनमानीयां कर रहा है ...
कहाँ सुन रहा है वो पागल ,
बेखौफ कहाँ जा रहा है ,
डर ना उसे दुनिया का कभी ,
और कसूरवार हमें ठहराया जा रहा है...
रुक जा बढ़ते कदम तू ना बढ़ ,
ये रास्ते नहीं आसान दुःख दिये जा रहे है,
गुलाबी सी दिखने वाली राह भी,
कंकळ काँटो सें भरे जा रहे है ...
कह भी दे तो भी शांत नही होंगे ,
सागर में दिल भिगोये जा रहे है ,
टकराकर फिर सें किनारों पर ,
वही राग दिलो का गाये जा रहे है...

