कुछ रिश्तों का? नाम...
कुछ रिश्तों का? नाम...
प्यार तो बहुत करते है ,
पर आपसे कहाँ नहीं जाता,
जरूरी तो नहीं कुछ रिश्तों का? नाम ,
कभी यूं ही बताया नहीं जाता ...
बेकरारी इतनी हैं हमें ,
रातों को निंद नहीं आती,
खयालों में घिरे हैं उनके,
अब राह संभली नहीं जाती ...
अनजान है वो शायद और हम भी
जताते नहीं पर चढ़े हम पे रंग भी ,
इस आँखों की दुनिया में हम ,
बातें कर लेते है आँखों सें भी ...
वो दूर खड़े निहारते है हमें ,
और नजर आते ही नजरे फेर लेते है,
क्या कहें इस प्यार को हम ,
हर दिन नये नये ख्वाब सजाते है ...
प्यार तो बहुत करते है ,
पर आपसे कहाँ नहीं जाता,
जरूरी तो नहीं कुछ रिश्तों का? नाम ,
कभी यूं ही बताया नहीं जाता ...

