दिल के चिराग बुझाए बैठें हैं
दिल के चिराग बुझाए बैठें हैं
उसके बाजूओं में खुद को देखने की
तमन्ना लिए बैठें हैं,
प्यार की एक नजर से देखे वें,यह
इनायत लिए बैठें हैं,
सारी महफिल सूनी लगने लगी है
कि हम गुलजारे इश्क की तरन्नुम
सुनने बैठे हैं,
लो आया है प्यार का माहे महीना
फिर भी आज भी उसके दीदार की
हसरत लिय बैठें हैं,
खुद को रोज संवारती हुई मैं,
ये क्या हो गया कि आईने को
दरकिनार कर बैठें हैं,
तेरा ही इश्क,सुकून भरी नींदें सुलाता
रहा था,अब आंखों ही आंखों में सारी
रात गुजारे बैठें हैं,
छनकती हंसी को पसंद करने वाली मैं,
अपनी सिसकती आवाज को होंठों में भींचें बैठें हैं,
दिल की रंगीन आबाद गलियों में रहने वाले,
आज दिल की गलियों के चिराग बुझाए बैठें हैं।