वजूद तक खो देते हैं
वजूद तक खो देते हैं
उनकी दुआओं से ना आबाद हुई मैं तो
उनकी बद्दुआ से क्या ही बरबाद होंगे हम।
इश्क की कोई बाजी ना रहने दी हमने
मगर बाजीगर कहलाए वे हमें हरा कर।
छोड़ देते हम दामन उनका कबका,
पर किसी और से मन ना जोड़ पाए हम।
मोहब्बत को शिकस्त दे गया कोई,
यूं कि मौकापरस्ती के घोड़े का सवार निकला कोई,
छोड़कर यूं इश्क की गलियां ना जाने,
कब किसी अमीरजादी के झूठे प्याले उठाने लगा कोई ।
दिल मेरा बारहां हंस पड़ा क्योंकि कभी यकायक
सीने से लगा लिया और कभी पहचानने से इंकार कर दिया।
सोच उसकी अब ऐसी हो गई शानवी कि
हवाएं भी जो मेरे रुखे इनायत थी,
फेर मुंह अपना दूसरी ओर कर लिया।
फकत इश्क की इंतहा देखिए जनाब, कुछ लोग
इश्क लफ्ज़ कहने में लड़खड़ा से जाते हैं,
धोखा देते देते,वजूद तक अपना खो दिए हैं।

