यादों की परछाईयां
यादों की परछाईयां
समय की धार संग ये जीवन यूं ही
अपनी रफ्तार से बीती जाए।
हर वह बातें समय के साथ फिर
से यादों में परिवर्तित होती जाए।
तन्हा अकेले खुद से कभी अपने
दिल से कुछ यु बातें की जाए।
पास तब कुछ एहसास साथ यादों
की परछाइयां हमें नजर आए।
कभी सुख को सोच मुस्कुराते
फिर होठो पर मंद मुस्कान आये।
कभी दुख को सोचके कुछ अस्क
आंखों से अचानक बहती जाए।
कभी कुछ खट्टी मीठी यादों में
फिर शूना लमहा यूं बीत जाए।
दिन महीने साल में यू सब ॠतु
आके सपने देकर यू चली जाए।
जीवन की डोर ईश्वर के हाथ में
उनकी इच्छा से सबकुछ हो जाए।
समय चक्र का पहिया यादों की
घोड़े के साथ यूं हि चलती जाए।
