STORYMIRROR

Dr. Tulika Das

Romance

3  

Dr. Tulika Das

Romance

चांद और दरख्त

चांद और दरख्त

1 min
406

जाने कितने साल ये दरख्त सुखा रहा

बस कुछ गीली यादों का सहारा रहा

और साथ रही चांद की बातें

हर रात वो चांद मुझसे मिलने आता रहा ।


कुछ किरणें चांद की मुझे भिंगोती

मेरे सूखे तन को सहलाती

निशान जो वक्त मुझ पे उकेर गया

कहानियां उन निशानों की मैं चांद से कहता गया ।


वह चांद भी तो तन्हा था

था आसमां की पनाह में

पर साथी कोई उसे भी ना मिला

दूर खड़े तारों से जो वह कह पाता नहीं

छूं कर उसकी चांदनी को

दर्द उसका मैंने पहचान लिया,

दर्द ने दर्द से रिश्ता अपना जोड़ लिया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance