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Dr. Tulika Das

Inspirational Others

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Dr. Tulika Das

Inspirational Others

हां , नारी हूं मैं

हां , नारी हूं मैं

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नारी हूं मैं, मेरे रूप है अनेक।

हर रूप हर रंग में, हर रिश्ते हर नाते में, नाम है मेरे अनेक।

हर नाम में हूं मैं, एक नया संदेश।


ईंट गारे के बने ढांचे में, मैं सांसे अपनी देती हूं।

छूकर दीवारों को, प्राण उनमें भर देती हूं।

अलग-अलग नामों से, मैं रिश्ते कई निभाती हूं।

मैं मकान को घर बनाती हूं, हां ! नारी हूं मैं, गृहणी मैं कहलाती हूं।


तन भी कोमल, मन भी कोमल, आत्मशक्ति है प्रबल।

कोमलता का हूं पर्याय जहां, सृजन शक्ति है मेरी वहां।

जन्म लेती हूं मैं जब, जननी भी जन्म लेती है।

ममता की गोद में भावी मां खेलती है, चाहे पुकारो बेटी मुझे, चाहे मुझे मां कहो,

हां, नारी हूं मैं, ममता का साकार रूप हूं मैं।


धरा सा धैर्य धारण करूं, पग पग पांव जहां धरूं।

कभी पिता के आंगन में, कभी भाई की कलाई में,

स्नेह बनकर मैं रहूं, मोह का बंधन मैं बांधूँ।

हां, नारी हूं मैं , मनमोहिनी हूं मैं, मोह का रूप मैं धारण करुं।


धूप समय की तेज बड़ी, मैं शीतल छांव बनती हूं।

सिली ठंडी रातों में, मैं ऊष्मा बन दहकती हूं।

चाहे पथ हो पथरीला, या पुष्पों से राह भरी हो,

शसंग संग मैं चलती हूं, थाम लूं जो हाथ मैं, सातों वचन निभाती हूं।

प्रिया हूं मैं, हां नारी हूं मैं, अर्धांगिनी मैं ही बनती हूं।


सुंदरता प्रेम की मुझसे है, कवि की कविता मुझसे है

कभी प्रेयसी बनके, गागर प्रीत की छलकाती हूं।

कभी प्रेरणा बनके, विजय तिलक बन जाती हूं।

हां नारी हूं मैं, प्रेम का आधार हूं मैं।


सोलह कलाएं अंग बसी, सोलह श्रृंगार से सजी,

चातुर्य और माधुर्य से भरी, साहस और संघर्ष से बनी,

कामिनी,  मैं हूं दामिनी।

मन से हूं सागर से बड़ी, इच्छाएं है उफनती पहाड़ी नदी,

भाव मेरे मन के हैं ऐसे, झील में पड़ते भंवर हो जैसे।

स्वप्न में लिपटा सत्य हूं मैं, माया का साकार रूप हूं मैं।

मान हूं, सम्मान हूं, ईश्वर का वरदान हूं।

सृष्टि और सृजन का मेल हूं मैं , हां ! नारी हूं मैं।



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