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Dr. Tulika Das

Others

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Dr. Tulika Das

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मन मेरा

मन मेरा

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और किसी की क्या बात कहूं

मन मेरा मेरी ही समझ में आता नहीं

सब कुछ तो है जीवन में मेरे

मन के सुख की परिभाषा मैं समझ पाती नहीं।

सुविधाओं से भरे घर में भी ये कमी ढूंढ लेता है

बस एक कमी पर ही ये उखड़ा उखड़ा रहता है

जी रहा है सालों से , पर जीना सीख पाया नहीं

प्रीत ही प्रीत भरा है मन में

मीत बिना जीना अब भी आया नही

मन मुझे और मैं मन को समझा पाई नहीं।


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