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Dr. Tulika Das

Romance Classics

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Dr. Tulika Das

Romance Classics

आधी बात, अधूरी मुलाकात

आधी बात, अधूरी मुलाकात

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आधी बात, अधूरी मुलाकात

बस अब यादें ही यादें हैं साथ।

कुछ अधूरे पल, कुछ टूटे सपने

जाने कहां खो गये मेरे अपने।


थोड़ी गलतफहमियां, थोड़ी नादानियां

बन गयी नयी नयी कहानियां।

थोड़ी मीठी चाशनी झूठ की

थोड़ा धोखा आंखों का

सच छूप गया बादलों में

रात उतर आयी मेरे आंचल में।


ना कोई शिकायत, ना कोई आशा

नहीं, मैं फिर भी नहीं रखती निराशा

बस अब नहीं कर पाती मैं फिर भरोसा।


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