नीला है अंबर ,हरी है धरती
नीला है अंबर ,हरी है धरती
नीला है अंबर और हरी है धरती ,
इनमें समाई है सारी सृष्टि ।
रंग सारे यहां-वहां बिखरे हुए ,
कभी मिलते हुए ,कभी जुदा होते हुए ,
पर अंबर को धरती से जोड़ते हुए
रंग ये रिश्ते निभाती है ,हर दिन को रंग नया देती है ।
सुनहरी चमक तारों की काली रात सजा देती है ,
चांद की चांदनी श्वेत रंग में धरा पर उतर आती है ,
और उतर आती है पीली धूप, भोर संग ले आती है ,
विदा होती रात्री ,सिंदूरी सूरज दे जाती है ।
सातों घोड़े सूरज के ,सात रंग ले आते हैं ,
रंग जाती हैं कोमल कलियां इन रंगों से,
हर कली फूल बन जाती है।
अठखेलियां फूलों की हवाओं को खूब भाती हैं ,
गुलाबी एहसास कोई हवाओं में भी जगा देती है,
सज उठती है धरती इंद्रधनुषी रंगों में
हर रंग है अंबर और धरा के आंचल में ।