वरना साहिल से मिल कर, भी सफ़ीने डूब जाते हैं। वरना साहिल से मिल कर, भी सफ़ीने डूब जाते हैं।
विरासतें ना सँभलीं तो गिरा आये हैं। विरासतें ना सँभलीं तो गिरा आये हैं।
हिमाक़त हो गर, जुदा कर के दिखा; गुल से लिपटी तितली को ! हिमाक़त हो गर, जुदा कर के दिखा; गुल से लिपटी तितली को !
हमारे दरमियाँ अब क्या बाकी है प्यार की आग जाने कब की बुझ गई! हमारे दरमियाँ अब क्या बाकी है प्यार की आग जाने कब की बुझ गई!
पिता! मिश्रित भाव जो दिखाते बाह्य से कठोरता और अंदर है ममता का सागर। पिता! मिश्रित भाव जो दिखाते बाह्य से कठोरता और अंदर है ममता का सागर।
एक घना दरख्त था जिंदगी के सफर में पड़ाव था वो। एक घना दरख्त था जिंदगी के सफर में पड़ाव था वो।