फैसला
फैसला
बड़ी खामोशी से
काट डाला वो दरख़्त
जो अभी तलक
हमारा हमसाया है।
कितने बेक़दरे होंगे
जो बेच आये मकां
विरासतें ना सँभलीं
तो गिरा आये हैं।
इस दिये ने कई
आंधिया देखी है मगर
यह घृतराष्ट्र हैं इन्हें
उजाले से नफरत है।
बस्तियां चीख रही थी
बचा लो तूफानों से
ना कुछ सूझा तो
तूफ़ां को घर ले आये हैं।
कितने बेक़दरे होंगे
जो बेच आये मकां
विरासतें ना सँभलीं
तो गिरा आये हैं।