धुआँ धुआँ जिंदगी
धुआँ धुआँ जिंदगी
आज यह जिंदगी उद्योग की भट्टी हो गई
पथरा गया इंसा जिंदगी धुआँ-धुआँ हो गई
आधुनिकीकरण में इंसान मशीन बन गया
भविष्य खतरे में आत्मा इनकी पथरा गई
बढ़ रहा प्रदूषण मृत्यु का कारण बन रहा
जीव जन्त्तु की कई प्रजातियाँ नष्ट हो गई
किस डगर चल पड़ा आज काल है डस रहा
एहसास दब गए जिंदगी धुआँ-धुआँ हो गई
मशीन के इस युग निज स्वार्थ जीत गया
पेड़ों की कटाई प्रदूषण का कारण बन गई
धुआँ-धुआँ चारों ओर इस कदर फ़ैल रहा
इस धुआँ –धुआँ जिंदगी में वेदना बढ़ गई
यहाँ सबका जीवन बन गया एक चक्रव्यूह
ये धुआँ उड़ाती मशीने जानलेवा बन गई
इस प्रगति ने बदल दी है मनुष्य की गति
स्वार्थ के नाम पर परम्परा कई बदल गई।
