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दयाल शरण

Others

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दयाल शरण

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माद्दा

माद्दा

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माद्दा थमने का

फिर दौड़ कर 

पकड़ने का है मुझमें

ए वक्त 

कहीं तुममें भी

ये हौसला हो

तो दिखाना

मुझको


नफरतें फिर भी

चेहरे पे

कोई छद्म सी हंसी

ए सुनो 

कभी अपना 

असली चेहरा तो

दिखाना 

मुझको


मेरे बारे में

जब भी लिखना

ज़रा संभल कर

लिखना

कभी लिख कर

ना मिटाना

पडे 

तुमको


सच को लिखना

इतना भी 

आसान 

कहां होता है

कोई लिखता हो तो

जनाब उससे 

मिलाना 

हमको۔


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