वजह
वजह
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जिंदगी जीने की
वाजिब सी वजह
खोजनी पड़ी
ए जिस्म तुझ में
रूह को पनाह
खोजनी पड़ी
रिश्तों ने कह दिया
कि रस्में वो
निभाएं
छूने की आसमान
जिनकी
जिद चली गयी
राजा के
महल का वो बस
आखिरी शजर था
कहते हैं
उसके बाद, सारी
कौम जल गई
मैं मुतमइन था
कि बस वो
है मेरे ही करीब
बाजार था
जाने वो कहाँ
भटकता गया
जिंदगी जीने की
वाजिब सी
वजह खोजनी पड़ी
.....................।
