"अमृत खोज"
"अमृत खोज"
जिंदगी को जीना आप सीख लीजिए
हंसकर विष पीना आप सीख लीजिए
गरीबी में तो कपड़ा भी शत्रु हो जाता है
दुःख में हर व्यक्ति ही पराया हो जाता है
शूलों में आप फूल होना भी सीख लीजिए
फूल सी जिंदगी में आप शूल दर्द लीजिए
जो व्यक्ति हंसता है, रोज चलकर कांटों पर
वो व्यक्ति कभी भी नहीं रोता है, जीवन भर
दुःखों से जीवन का जीवंत अनुभव लीजिए
जिंदगी में विष से अमृत कलश ढूंढ लीजिए
जो जीवन सागर को मन रस्सी से मथता है
वो अमृत ओर विष दोनों को ही खोजता है
जिसका मन मोहनी नारी से नहीं भटकता है
वो अपने को दानव नहीं, देव बनाया करता है
जो स्व मन को श्री हरि को समर्पित करता है
वो जरूर भक्ति स्वाति सुधा बूंद पाया करता है
जीवन के सागर में धन्वंतरि की खोज कीजिए
खुद के अनमोल स्वास्थ्य की सुरक्षा कीजिए
वक्त रहते, श्री हरि का निरंतर सिमिरण कीजिए
फिर स्वयं ही नित भीतर अमृत जी भर पीजिए।